भगवान परशुराम
सप्तर्षियों में से एक महृषि भृगुवंश में भगवान परशुराम का जन्म दिवस बैशाख शुक्ल तृतिया (अक्षय तृतीया) को प्रति वर्ष मनाया जाता है।
भृगु ऋषि की दो पत्नियां थी, पहली पोलोमी से च्यवन हए। आगे चलकर च्यवन ऋषि के ही आपस्वान, और्व, जमदग्नि तथा जमदग्नि के परशुराम हुए। भृगु ऋषि की दूसरी पत्नी हिरण्यकशिपु की पुत्री दिव्या से शुक्राचार्य उतपन्न हुए । फिर शुक्राचार्य की पत्नी अंगी से वरुत्री, त्वष्टाधर शंड, तथा अरमक चार पुत्र है। इन सब को भार्गव कहा गया। यह सभी शिल्पी ब्राह्मण थे। विष्णु पुराण के श्लोक ६/५/७४ के अनुसार "सम्पूर्ण ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री ( धन), ज्ञान और वैराग्य इन ६का नाम "भग" है तथा इन छ:गुणों से युक्त मनुष्य को भगवान कहा जा सकता है। अतः परशुराम में यह सभी छ: गुण विद्यमान होने के कारण ही उन्हें भगवान कहते हैं। विद्वान परशुराम यह भली भांति जानते थे कि सत्य और न्याय का आचरण करना ही धर्म है , तथा क्रोध से बल और बुद्धि घटती है।
थर थर कापहिं पुर नर नारी।
छोट कुमार खोट बड़ भारी।।
भृगुपति सुनि सुनि निर्भय बानी।
रिस तन जरई होई बल हानि।। (रामचरित मानस)
अर्थात:- जनकपुर के स्त्री पुरुष थर थर कांप रहे हैं, (मन ही मन कह रहे है कि) छोटा कुमार बड़ा ही खोटा है। लक्ष्मण जी की निर्भय वाणी सुन सुन कर परशुराम जी का शरीर क्रोध से जला जा रहा है, और उनके बल की हानि हो रही है।भगवान की पदवी पाने वाले परशुराम जी न तो क्रोधी थे न ही उन्होंने निर्दोषों की हत्या करके धरती को कई बार क्षत्रिय विहीन करने की गलती एवं अन्याय किया था। क्योंकि कोई भी विद्वान ऐसा निंदक कार्य नही कर सकता।
जिस देश मे क्षत्रिय ही न रहें उस देश पर कोई भी देश आक्रमण कर अपने कब्जे में कर सकता है अतः भगवान परशुराम जी ऐसा कर ही नही सकते थे। हम गर्व है कि हमारे भारतवर्ष में ऐसे अनेक महापुरूषों तथा भगवानों में जन्म लिया है । धन्य है भारत माता।
-केदारनाथ धीमान
Mo-9536538663
जय परशुराम
जय भारत माता।
जय हो
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जवाब देंहटाएंJai ho
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