अचूक उपाय हर समस्या का राम बाण चमत्कारी हल
जिस किसी भाई की फैक्ट्री दुकान नहीं चल रही हो ,व्यापार में निरंतर घाटा हो रहा हो आर्थिक समस्या कर्ज निरंतर बढ़ता जा रहा हो ,हर एक उपाय करने के बाद भी कोई लाभ नही मिल रहा हो तो ऐसे जातक पूरी श्रद्धा से प्रति दिन भगवान विश्वकर्मा स्त्रोत का पाठ अपने फेक्ट्री दुकान पर पूजा स्थान पर भगवान विश्वकर्मा पर पूर्ण श्रद्धा आस्था रखकर प्रति दिन प्रातः ओर संध्या को पाठ करे ,भक्त की समस्या का हल90 दिन के अंदर स्वतः ही मिलने लगेगा।
कई विश्वकर्मा भक्तों को इस उपाय को करने से बहुत लाभ हुआ है,आप भी इस उपाय को करे लाभ होगा होगा होगा ।
ॐ ज्योतिर्मय शांतिमयं प्रदीप्तं विश्वात्मकं विश्वं जितं निरीक्षण।
आद्यंतशूंयं सकलं कलामयं श्री विश्वकर्माणमहं नमामि।।1
अर्थात - हे स्वामी कार्तिक विश्वकर्मा स्वयं ज्योतिपुंज हैं अत्यंत शांत एवं तेजोमय प्रभा युक्त हैं वे इस विश्व के नियंता एवं संचालक हैं। उनका कोई अधिपति नहीं है न ही वे जन्म मरण के बंधन में हैं वे सभी प्रकार के साधनों से युक्त हैं सब ज्ञान विज्ञान एवं कलाओं के अधिपति हैं ऐसे सकल गुण निधान श्री विश्वकर्मा जी को मैं नमस्कार करता हूं।
निराधारं निरा निरालंबं निर्विंद्ययाय नमाम्यहम्।। 2।।
अर्थात-महादेव कहते हैं श्री विश्वकर्मा सदैव प्रसन्न रहते हैं उनका कोई रुप या आकार नहीं है अर्थात निराकार रूप से कण-कण में समाए हुए हैं वह कल्पना से परे हैं उनका कोई रूप नहीं है
अर्थात हर समय हर स्थान पर विद्यमान हैं वह आधार एवं आश्रय रहित हैं तथा निर्विघ्नं है ऐसे श्री विश्वकर्मा जी को मैं नमन करता हूं।
जो प्राण से लिपटे हुए नहीं हैं जिनके हाथ पैर वगैरा नहीं है कल्पना रहित हैं और जिनको किसी का आधार व आश्रय नहीं और जिनकी आत्मा निर्विघ्नं है ऐसे श्री विश्वकर्मा देव को मैं प्रणाम करता हूं।
ॐ अनादि यत्प्रमाणं च अरूपं च दया पदम्।
त्रैलोक्यमयनाम त्वं विश्वकर्मंनमोअस्तुते।। 3।।
अर्थात-जिसका आरंभ नहीं है और कोई प्रमाण नहीं जो दया का स्थान है। त्रैलोक्य भूत जिसका नाम है ऐसे श्री विश्वकर्मा आप ही हो आप को मेरा नमस्कार हो।
ॐ नमोस्तु विश्वरूपाय विश्वरूपायते नमः।
णमो विश्व आत्मभूताय विश्वकर्मंनमोस्तुते।। 4।।
अर्थात- विश्व जिस का रूप है विश्व ही जिसकी आत्मा है जो सर्व प्राणी मात्र में व्यापक हैं उसको मैं नमस्कार करता हूं।
ॐ विश्वाय विश्वरूपाय नमस्ते विश्वमूर्तये।
विश्वकर्मा सुमंगल्य विश्वविद्याविनोदिने।।5।।
अर्थात- जो परमात्मा विश्वात्मक होते हुए विश्व रूपी जो विश्व है जिसकी यह मूर्ति है विश्व जिस का काम है उत्तम प्रकार के मंगल कारक विश्व में विश्व निर्माण रूपी विद्या से विनोद करने वाले को मेरा नमस्कार है।
ॐ ओंकार प्रभावा वेदा ओंकार प्रभव:स्वराज:।
ओमकारप्रभवं सर्व त्रैलोक्यं सचराचरम्।। 6।।
अर्थात-ओंकार से वेद उत्पन्न हुए ओंकार से ही स्वर सर्वत्र त्रैलोक्य चराचर जिस से उत्पन्न हुआ वो ही भगवान विश्वकर्मा विश्वरूप हैं।
ॐ आदि कर्ता विश्वकर्ता विश्वकर्मा जगद्गुरु।
ब्रह्मा वविष्णुश्च रुद्रश्च ईश्वरश्य सदा शिव:।। 7।।
अर्थात-आदि कारण विश्व को उत्पन्न करने वाले और विश्व को उत्पन्न करना यही इनका कर्म है वही विश्वकर्मा वही जगतगुरु हैं ब्रह्मा विष्णु महेश्वर सदाशिव वही है अर्थात यह सब विश्वकर्मा के ही नाम है।
ॐ विश्वकर्मा वै विधाता स्वयंभूमूस्तथैवच।
हिरण्यगर्भ आदित्य त्वष्टा विष्णु: प्रजापति:।। 8।।
अर्थात-भगवान विश्वकर्मा आनंत अनादि असीम अपार अजन्मा आदि होने के कारण उनके अनेक नाम हैं अतः अलग अलग गुणों के अनुसार विश्वकर्मा जी के पृथक पृथक नाम हैं।
1.विश्वकर्मा 2.विधाता 3.स्वयंभू 4.हिरण्यगर्भ 5.आदित्य 6.त्वष्टा 7.विष्णु 8.प्रजापति यह सब नाम विश्वकर्मा जी के ही हैं इनके अलावा और भी बहुत नाम हैं।
ॐ सुरा सुरा हरी: सूर्यो विश्वकर्मकुलोद्भदव:।
विश्वकर्मा महा मूर्ति: सर्वभूतदयापर:।।9।।
अर्थात- देव दैत्य और सूर्य विश्वकर्मा के कुल में उत्पन्न हुए वह विश्वकर्मा महा मूर्ति है और सब प्राणी मात्र के ऊपर दया करने वाले हैं।
ॐ गुरु: सर्वगुण: स्वार्थां परमार्थं विश्वकर्मण:।
श्रुति वाक्यं स्मृतेर्वाक्य विश्वकर्मा गुरुश्तथा।। 10।।
अर्थात- सब प्रकार से स्वार्थ और परमार्थ के विश्वकर्मा गुरु हैं यह वचन श्रुति स्मृति के आधार पर महादेव जी कार्तिक स्वामी को कहते हैं।
ॐ पिता स सर्व देवानां सर्वलोक पितामह:।
सर्वलोकगुरूश्चैव विश्वकर्मा पर: शिव:।। 11।।
अर्थात- सब देवताओं के पिता सब लोको के पिता महा सब जगत् के गुरू वो हीं पर ब्रह्म शिव विश्वकर्मा है।
ॐ सत्यं सत्यं पुनः सत्यं सत्यं सत्यं वदाम्यहम्।
पर: शिवो विश्वकर्मा सत्यं वाक्यं च षंमुख।। 12।।
अर्थात- महादेव कहते हे कर्णिक! मैं सत्य कहता हूं कि पूर्व में कही हुई कथा सत्य है और निसंदेह सत्य है परम शिव महान महादेव वो ही विश्वकर्मा है मेरा वाक्य सत्य है।
ॐ विश्वकर्मंनमस्तेअस्तु विश्व आत्मा विश्व संभव:।
अपवर्गोसि भूतानां पंचानां परत:स्थिति:।।13।।
अर्थात- समस्त संसार के निर्माणकर्ता विश्व की आत्मा विश्वकर्मा परमात्मा के लिए नमस्कार हो आप भूतों के मोक्ष स्थान हो और पंचमहा भूतो से निर्विकार स्थिति में हो।
ॐ यत्किंचिदृश्यते शिल्पं तत्सर्वे विश्वकर्मम।
शिल्पाचार्याय देवाय नमस्ते विश्वकर्मणे।।14।।
अर्थात - यह जो कुछ शिल्प संसार में दिखाई देता है वह सब विश्वकर्मा जी का ही बनाया हुआ है शिल्पाचार्य विश्वकर्मा देव के लिए बार बार नमस्कार हैं ।
धनतेरस के इस पावन त्यौहार पर दवाइयों के देवता भगवान धनवंतरी के मंत्रों के साथ साथ ॐ नमो विश्वकर्मणे मंत्र का जाप भी अवश्य करें क्योंकि भगवान धनवंतरी परमेश्वर विश्वकर्मा के ही अंश है
ॐ नमो विश्वकर्मणे
आचार्य सन्त जगदीश गुरु महाराज ।
।।भगवान विश्वकर्मा धर्म प्रचारक वैदिक वक्ता प्रवचनकार।।
उज्जैन मध्यप्रदेश
07869586069