सामाजिक पुरोधा बंसीलाल शर्मा के अन्तिम संस्कार में शामिल हुए हजारों लोग
उज्जैन। अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा के पूर्व राष्ट्रीय उपप्रधान और अखिल भारतीय विश्वकर्मा विराट संघ के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं अनेकों सामाजिक संस्थाओं के संस्थापक, संरक्षक, प्ररामर्शदाता, मार्गदर्शक, मानवीय गुणों के धनी, कर्मयोगी, कर्मवीर, दानवीर, सफल उद्योगपति, सक्रिय वरिष्ठ समाजसेवी तथा कैलाश शर्मा के पिता श्री बंशीलाल शर्मा उज्जैन का अचानक ह्रृदय रुक जाने के फलस्वरूप आकस्मिक निधन हो गया तदनंतर उनकी देह पंचतत्व में विलीन हुई। अन्तिम संस्कार में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। उनके पार्थिव शरीर का संस्कार क्षिप्रा नदी के पवित्र तट पर स्थित मुक्तिधाम पर किया गया।
"January-2023, Ank-11, year-6,जनवरी अंक 2023" अंक माघ मास
मुक्ति धाम में आयोजित शोकसभा में उपस्थित सदस्यों ने दो मिनट की मौन श्रद्धांजलि देकर आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। सभा में जगदीश पांचाल पूर्व पार्षद, कैलाश मैथिल, महेश शर्मा, हेमंत पांचाल सहित अनेकों सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक, व्यापारिक एवं अन्य बिभिन्न समाज के संगठनों के पदाधिकारीगण, बुद्धिजीविगण, व्यापारीगण, शर्मा परिवार के परिजन व मित्र आदि बड़ी संख्या में उपस्थित होकर शोक व्यक्त किया।
इस दुःख की घड़ी और शोक की बेला में विश्वकर्मा एकीकरण अभियान के केंद्रीय संचालक एवं मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ प्रभारी
वरिष्ठ समाजसेवी वीके विश्वकर्मा पांचालरत्न भोपाल ने ब्रह्मलीन बंसीलाल शर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते भावुक होकर कहा कि दिवंगत बंसीलाल शर्मा विनम्रता, सरलता, सहनशीलता, मृदुभाषिता, सामंजस्यता, सहजता, सादगी आदि मानवीय गुण के धनी व बाबूजी के नाम से मशहूर थे। वे मृदुभाषी, मिलनसार, असहाय एवं कमजोर वर्गो की सच्चे हमदर्द थे। वे असहाय निर्धन के लिये मसीहा थे। वे नैतिकता की प्रतिमूर्ति, असाधारण कर्मयोगी, समाज उत्थान एवं विकास के लिये सदैव लड़नेवाले जीवट योद्धा थे।
उन्होंने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि उनके निधन से केवल उज्जैन नहीं, मध्यप्रदेश नहीं बल्कि पूरे देश में शोक की लहर व्याप्त है। उनके निधन से अपूर्णीय क्षति हुई है। समाज ने एक राष्ट्रीय समाज सेवक, राष्ट्रीय संत को खो दिया है। ब्रह्मलीन बंसीलाल शर्मा की छवि सदैव एक साफ सुथरी छवि वाले सामाजिक सेवक के रूप में रही। इनके आदर्शों और बताये हुए मार्ग पर चलना ही इनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
वे हमेशा कहा करते थे कि परम पिता परमेश्वर की असीम कृपा से मानव जीवन मिलता है और मानव जीवन क्षण भंगुर है। अपने आचरण से मानव की सेवा, समाज के उत्थान में सेवा सहयोग समर्पण की भावना व कर्मनिष्ठा ही मानव की मूल संपत्ति है। उज्जैन शहर के ही नहीं, देश के अमूल्य धरोहर के रूप में बाबूजी के नाम से ख्यातिप्राप्त शख्सियत बंसीलाल शर्मा को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। उनके चरणों में दो शब्द समर्पित - आँधी आती है, तूफान चला जाता है। बस यादें रह जाती है, इंसान चला जाता है। अखिल भारतीय विश्वकर्मा विराट संघ और विश्वकर्मा एकीकरण अभियान गहरी शोक संवेदनाये प्रकट करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करता है और परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हैं कि दिवंगत आत्मा को प्रभु चरणों में स्थान दें और शोक संतप्त परिवार को दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें।
इस मौके पर अखिल भारतीय विश्वकर्मा विश्वकर्मा संघ, अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा, जिला सभा, विश्वकर्मा एकीकरण अभियान के पदाधिकारीगण के साथ बिभिन्न समाज के सामाजिक, धार्मिक, बिभिन्न राजनैतिक पार्टियों के पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं समेत हजारों की संख्या में गण्यमान्य लोग शामिल हुए। उनका उठावना 9 फरवरी गुरुवार को शाम चार बजे श्री ओदिच्य ब्राह्मण धर्मशाला अब्दालपुरा उज्जैन में रखा गया था। उनकी आत्मा को शांति के लिये उत्तरकार्य नियमानुसार रखा गया है। दशाकर्म : मित्ति फाल्गुन बिदि 11, दि. 16 फरवरी 2023, गुरुवार, पगड़ी एवं ब्रह्मभोज : मित्ति फाल्गुन बिदि 14, दि. 19 फरवरी 2023, रविवार, समय : दोपहर 12:15 बजे से 3:00 बजे तक। स्थान : खंडेलवाल वैश्य पंचायत भवन ( धर्मशाला ) बुधवारिया, उज्जैन म.प्र.। शोकसंतप्त - कैलाश शर्मा ( रिंकू), पार्थ शर्मा