त्यागमूर्ति देवी रत्नावली की 513वीं जन्म जयंती के पावन पर्व से गूंज उठा उनका ससुराल
राजापुर /चित्रकूट रत्नावली सेवा समिति के तत्वाधान में आयोजित एक दिवसीय भव्य आयोजन देवी रत्नावली की ससुराल गोस्वामी तुलसीदास जी के जन्म कुटीर तुलसी प्रांगण में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया।
भारद्वाज गोत्र धारा धर सरार कुलभूषण वैश्विक पटल पर राम भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित करने वाले महाकाव्य राम चरितमानस व अन्य 23 ग्रंथों (23 ग्रंथों की विस्तृत जानकारी श्रीमती सरिता पांडे जी की आने वालीपुस्तक तपस्विनी रत्नावली से प्राप्त करने का शुभ अवसर मिलेगा) की रचना करने वाले विश्व वंदनीय कविi गोस्वामी तुलसीदास जी की धर्मपत्नी परम साध्वी देवी रत्नावली के 513 वीं जन्म जयंती के शुभ अवसर पर राजापुर तुलसी जन्म कुटीर प्रांगण मैं बहुत धूमधाम से मनाया गया।
इस पावन अवसर पर संगम नगरी तीर्थराज के मनुपुर मनैया से पधारे हुए डॉक्टर श्री प्रकाश द्विवेदी ज्योतिषाचार्य, विश्व कल्याण एवं शोध संस्थान के अध्यक्ष जोकि गोस्वामी जी की वंशवेल में उत्पन्न हुए है आपको अवगत कराना है की डॉ श्री प्रकाश जी के शोधानुसार देवी रत्नावली के जीवन चरित्र के बारे में जो जानकारी मिली उससे प्रभावित हो कर अश्रुपूरित आंखों से करतल ध्वनि से महाराज श्री के प्रवचनो का तहे दिल से स्वागत किया।
इस पावन जन्म जयंती के पर्व पर गोस्वामी जी की वंशवेल में उत्पन्न हुए गोरखनाथ की पावन भूमि सरार गांव से पधारे हुए मुख्य अतिथि महामंत्री उत्तर प्रदेश शिक्षक संघ गोरखपुर से आदरणीय श्री राजेश धर द्विवेदी जी ने देवी रत्नावली के जीवन चरित्र कुछ शब्द सुमन अर्पित करते हुए उनके चरणों में अपना स्नेह अर्पित किया। इसी क्रम में उनके अनुज श्री नवनीत धरद्विवेदी, श्री विजय शंकर धर द्विवेदी एवं श्री सुरेंद्र धर द्विवेदी जीकी गरिमा मई उपस्थिति को हम सभी सादर वंदन अभिनंदन करते हैं।
शोधकर्ता डॉ श्री प्रकाश जी द्विवेदी ने कहा की आध्यात्मिक तरंगों से झंकृत यह तुलसी जन्म कुटीर अपने आप में यह वह तीर्थ है जहां जन्मे बालक ने संपूर्ण विश्व में राम भक्ति की अविरल धारा पूरे विश्व में प्रवाहित की है, उन्होंने अपनी ओजस्वी वाणी से कहा की हर सफलता के पीछे एक नारी शक्ति का हाथ होता है आज अगर देवी रत्नावली ने गोस्वामी तुलसीदास जी को उपदेश न दिया होता तो आज रामबोला धर दुबे गोस्वामी जी ना होते। आज हम कितना गर्व महसूस करते हैं जब रामचरितमानस के क्रम में पूज्य पाद गोस्वामी तुलसीदास जी की जय बोलते हैं तो जरूर कहीं ना कहीं उस ममतामई तपस्वनी की स्मृति हमें अंदर अंदर झकझोर देती है कि हम देवी रत्ना के अमर त्याग को कैसे भूल गए। डॉ श्री प्रकाश जी ने अद्भुत, अकल्पनीय एवं अविस्मरणीय देवी रत्नावली जीके जीवन पर प्रकाश डाला जो कि मैं सूक्ष्म रूप से बयान नहीं कर सकता।
पंडित राजेश धर द्विवेदी ने कहा की ईश्वरी प्रेरणा से जागृत होकर 513 वीं जन्म जयंती पर सरिता पांडेय ने अग्रणी भूमिका निभाते हुए अब तक की पहली महिला है जिन्होंने रत्नावली का चिंतन किया, उन्हें याद किया और समाज को प्रेरित किया है कि हम देवी रत्नावली जैसी महान नारी को नहीं भुला सकते यह हमारी अमूल्य धरोहर है।
मंच संचालन की अहम भूमिका में श्री अंबिका प्रसाद मिश्रा "प्रखर"जीके कुशल मंच संचालन की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए लोक गायिका श्रीमती रूचि मिश्रा कि सुमधुर वाणी से सरस्वती वंदना एवं सरिता पांडेय की रचना को रुचि मिश्रा के गायन सेतुलसी मंदिर प्रांगण गूंज उठा।
राजापुर के पुण्य वसुंधरा उत्पन्न हुए एक शानदार व्यक्तित्व नमन करते हुए मेरी कलम सम्मान की हकदार बनकर श्री मन्नु सोनी जी का बहुत-बहुत आभार प्रकट करती है जिनके काव्य पाठ से सभी की आंखें नम हो गईं।
डॉश्री प्रकाश जी ने कहाभक्ति के मार्ग को प्रशस्त करने वाली महान नारी देवी रत्नावली ने ही गोस्वामी जी को उपदेशत्मक शब्दों से प्रेरित कर उन्हें भक्ति ज्ञान बैराग का मार्ग दिखलाया एवं सनातन धर्म की रक्षा के लिए प्रेरित कर समस्त तीर्थों में जाकर राम नाम का सत्संग मार्ग दर्शन देती हैं। डॉश्री प्रकाश जी ने राजापुर के प्राचीन इतिहास को भी जनमानस के बीच में रखा जिससे हमारी युवा पीढ़ी को बहुत ही अच्छी जानकारी एवं प्रेरणा मिली।
दिनांक 15 मार्च दिन बुधवार तिथि चैत्र कृष्ण अष्टमी देवी रत्नावली की ससुराल तुलसी जन्म कुटीर प्रांगण श्री महाराज (ग्राम छीबो निवासी)के आचार्यत्व यजमान के रूप में श्री सतीश मिश्रा (पतंजलि वाले) अग्रणी भूमिका निभाते हुए देवी रत्नावली के भव्य पूजन के उपरांत तुलसी जन्म कुटीर प्रांगण सुंदरकांड की मधुर गूंज से गुंजायमान हो गया। भक्तों की अनुभूतियों ने जताया कि ऐसा लग रहा था कि जैसे आज यहां महा उत्सव हो रहा हो। इस शुभ अवसर पर राजापुर की सम्मानित नारी शक्ति की उपस्थिति अत्यंत सराहनीय रही। इसी क्रम में राजापुर के श्री संतोष बंसल जीने इस ऐतिहासिक कार्य में अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते हुए देवी रत्ना के चरणों में अपना स्नेह समर्पित धन्य होने का गौरव प्राप्त किया। कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहकर अपनी अपनी भूमिका में नजर आए इसके लिए आयोजक परिवार उनका आभारी है।
सरिता पांडे जी ने कहा की हम गोरखपुर से आए हुए श्री राजेश धर द्विवेदी एवं मनुपुर मनैया से पधारे हुए डॉ श्री प्रकाश द्विवेदी, सुदनीपुर इलाहाबाद से पधारे हुए श्री नवनीत धर द्विवेदी, श्री विजय शंकर धर द्विवेदी, श्री सुरेंद्र धर द्विवेदी, मानस मंदिर पीठाधीश्वर श्री रामाश्रय तिवारी जी, तुलसी जन्मभूमि शोध समीक्षा के लेखक आदरणीय श्री राम गणेश पांडे जी, बालाजी मंदिर कर्वी चित्रकूट के महंत श्री कृपा शंकर तिवारी जी आप सभी सम्मानित अतिथि गण के रूप में उपस्थित रहे। इसके लिए हम सदा इनके आभारी रहेंगे।
इसी क्रम में गोस्वामी जीके संपूर्ण 39 पीढ़ी की विस्तृत जानकारी गूगल वेब अपलोड करने के लिए आयोजक परिवार की तरफ से चांदी के सिक्के, प्रशस्ति पत्र अंग वस्त्र , स्मृति चिन्ह एवं सुंदरकांड देकर उन्हें सम्मानित किया। विश्व कल्याण एवं ज्योतिष शोध संस्थान के अध्यक्ष डॉ श्री प्रकाश द्विवेदी जी ने सक्षमबंसल पुत्र संतोष अंजनी बंसल को पेंसिल चित्रकला के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रशस्ति पत्र प्रदान किया।बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से retail Logistic management Masters final examination में स्वर्ण पदक हासिल कर पावनी पांडे पुत्री राजेंद्र सरिता पांडेय चित्रकूट का प्रथम ऐतिहासिक गौरव बनती है विश्व कल्याण एवं ज्योतिष शोध संस्थान प्रशस्ति पत्र देकर दोनों बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना की।
तुलसी जन्म कुटीर प्रांगण में लोक गायिका श्रीमतीरुचि मिश्रा, श्रीमती रोली मित्तल, श्री मती अंजनी बंसल, श्री सतीश मिश्रा, श्री संतोष बंसल, श्री मंटू अग्रहरी, श्री शिवपूजन गुप्ता, श्री सुनील मिश्रा, श्री अशोक द्विवेदी, श्री विष्णु कांत चतुर्वेदी, श्री रमाकांत चतुर्वेदी, श्री सुरेंद्र गौतम, श्री महेंद्र गौतम, श्री श्रवण पांडे, श्री धर्मेंद्र जायसवाल, आदि अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
डॉ राजेंद्र पांडे एवं सरिता की तरफ से समस्त ग्रामवासी महेवा ग्राम कौशांबी निवासी दीनबंधु पाठक एवं पार्वती पाठक की कन्या रत्नावली जी की जन्मभूमि या फिर यूं कहें कि उनका पैतृक गांव। राजापुर चित्रकूट निवासी एवं समस्त विश्व को तपस्वनी रत्नावली के पावन जन्मोत्सव बधाई बधाई बधाई बहुत-बहुत बधाई हो।
मान्य केदारनाथ जी,
जवाब देंहटाएंआपकी पत्रिका का प्रकाशन उत्कृष्ट है पत्रिका मे प्रकाशित कुछ अपवाद को छोडकर सभी ज्ञानवर्धक होते है।
पत्रिका को और आकर्षक बनाने के लिए पत्रिका के नाम के अनुरूप वैदिक लेखो को अधिकाधिक प्रमुखता देनी होगी।
सादर नमस्ते जी।