विश्वकर्मा पूजन दिवस अथवा सृष्टि सृजन दिवस मनाया जाए, जयन्ती नहीं
भारतीय धीमान ब्राह्मण महासभा
की ओर से विश्वकर्मा पूजन दिवस (कन्या संक्रान्ति)की
सभी देशवासियों को बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं।
विश्वकर्मा जयन्ती नहीं, विश्वकर्मा पूजन दिवस अथवा सृष्टि सृजन दिवस मनाया जाए
भारतीय धीमान ब्राह्मण महासभा राष्ट्रीय अध्यक्ष सुंदर लाल धीमान
KYA PARMAtMA BHI VISHWAKARMA HAI
यो विश्वं सर्वकर्म क्रियामाणस्य स विश्वकर्मा:
अर्थात- जो एकमात्र ब्रह्म परमात्मा समस्त संसार की उत्पत्ति से लेकर प्रलय के साथ समस्त कर्म करने की योग्यता रखता है उस परमेश्वर को ' विश्वकर्मा ' कहा जाता है।
।।ॐ नमो विश्वकर्मणे।।
विवाहादिषु यज्ञेषु गृहारामविधायके।
सर्वकर्मसु संपूज्यो विश्वकर्मा इति श्रुतम्॥
(वाराहपुराण)
अर्थात- विवाह, यज्ञ, गृह-प्रवेश आदि समस्त शुभ कार्यों में अनिवार्य रूप से प्रभु विश्वकर्मा जी का पूजन करना ही चाहिए।
यह मंत्र भी यही स्पष्ट करता है कि भगवान विश्वकर्मा लोकहितकारी है तथा उनकी पूजा जनकल्याणकारी है। अत: प्रत्येक जनमानस को सृष्टिकर्ता, शिल्पकलाधिपति, तकनीक, कला और विज्ञान के जनक प्रभु विश्वकर्मा की पूजा, आराधना व उपासना अपनी व अपने राष्ट्र की उन्नति के लिए अवश्य करें। वस्तुत: ऐसे महान देवता की पूजा करना, उत्सव मनाना और उनके संदेश को जन-जन तक पहुंचाना मनुष्य का सच्चा धर्म है।
अ॒द्भ्यः सम्भू॑तः पृथि॒व्यै रसा॓च्च । वि॒श्वक॑र्मणः॒ सम॑वर्त॒ताधि॑ ।
तस्य॒ त्वष्टा॑ वि॒दध॑द्रू॒पमे॑ति । तत्पुरु॑षस्य॒ विश्व॒माजा॑न॒मग्रे॓ ।।
-(यजुर्वेद अध्याय-31, मंत्र-17)
अर्थ - सृष्टि के प्रारंभ में सूर्य, जल और पृथ्वी का निर्माण करके विराट पुरुष परब्रह्म विश्वकर्मा ने स्वयं को साकार रूप में प्रकट किया । फिर विराट विश्वकर्मा ने स्वयं से त्वष्टा अर्थात ब्रह्मा को उत्पन्न किया। सम्पूर्ण ब्रह्मांड के अस्तित्व के पूर्व सब कुछ उन्हीं विराट विश्वकर्मा में समाहित था और समस्त सृष्टि उन्ही का रुप थी।