भगवान् श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
भक्तवत्सल भगवान् योगेश्वर श्रीकृष्णावतार की बड़ी महिमा है। भगवान् भक्तों को अभय करने वाले हैं वे सब रूप में हैं। वे वासुदेवजी के मन में अपनी समस्त कलाओं के साथ प्रकट हो गए। उनमें विद्यमान रहने पर भी भगवान् ने अपने को अव्यक्त से व्यक्त कर दिया। उनकी दिव्य ज्योति को धारण करने के कारण, वसुदेवजी सूर्य के समान तेजस्वी हो गए। अब उन्हें कोई भी अपनी बल, वाणी या प्रभाव से दबा नहीं सकता था-
भगवानपि विश्वात्मा भक्तानामभयङ्करः।
आविवेशांशभागेन मन आनकदुन्दुभेः।।
स बिभ्रत्पौरुषं धाम भ्राजमानो यथा रविः।
दुरासदोऽतिदुर्धर्षो भूतानां सम्बभूव ह।।
(श्रीमद्भागवत- १० / २ / १६ - १७)
भगवान् सारे जगत् के हैं, किन्तु माता देवकी उनका भी निवासस्थान बन गयी। भाद्रमास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि की अर्धरात्रि में जब रोहिणी नक्षत्र था और चारों ओर अन्धकार का साम्राज्य था, उसी समय सबके हृदय में विराजमान रहने वाले तथा जन्म-मृत्यु के चक्र से छुडाने वाले जनार्दन भगवान विष्णु पूर्व दिशा में सोलह कलाओं से पूर्ण चन्द्रमा की भाँति देवी देवकी के गर्भ से प्रकट हुए-
निशीथे तम उद्भूते जायमाने जनार्दने।
देवक्यां देवरूपिण्यां विष्णुः सर्वगुहाशयः।
आविरासीद् यथा प्राच्यां दिशि इन्दुरिव पुष्कलः।।
(श्रीमद्भागवत- १० / ३ / ८)
Lord Shree krishna janmashtmi
उस समय बालक श्रीकृष्ण के नेत्र कमल के समान कोमल और विशाल थे। वे चार सुन्दर हाथों में शंख, गदा, चक्र और कमल लिए हुए थे। उनके वक्षस्थल पर श्रीवत्स का चिह्न था। गले में कौस्तुभमणि झिलमिला रही थी। वर्षाकालीन मेघ के समान परमसुन्दर श्यामल शरीर पर मनोहर पीताम्बर फहरा रहा था। बहुमूल्य वैदूर्यमणि के किरीट और कुंडल की कान्ति से उनके सुन्दर सुन्दर घुंघराले बाल सूर्य की किरणों के समान चमक रहे थे। कमर में चमचमाती करधनी की लडियां लटक रही थीं। बाँहों में बाजूबंद और कलाइओं में कंकण शोभायमान हो रहे थे। इन सब आभूषणों से सुशोभित उनके अंग अंग से अनोखी छटा छिटक रही थी-
तमद्भुतं बालकमम्बुजेक्षणं
चतुर्भुजं शंखगदार्युदायुधम्।
श्रीवत्सलक्ष्मं गलशोभि कौस्तुभं
पीताम्बरं सान्द्रपयोदसौभगम्।।
महार्हवैदूर्यकिरीटकुण्डल-
त्विषा परिष्वक्त सहस्रकुन्तलम्।
उद्दाम काञ्च्यङ्गद कङ्कणादिभिः
विरोचमानं वसुदेव ऐक्षत।।
(श्रीमद्भागवत- १० / ३ / ९ - १०)
।। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।।
कृष्ण जी के पूर्व जन्म
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भगवान् श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
पर अनन्त शुभकामनाएं .