विश्वकर्मा महाकुंभ जयपुर मे भाग लेकर नवीन जोश और उर्जा प्राप्त कर लोटे जांगिड समाज पाली राजस्थान के लोग
पाली @ घेवरचन्द आर्य
अखिल भारतीय जांगिड ब्राह्मण महासभा प्रदेश सभा राजस्थान द्वारा रविवार 3 सितम्बर को आयोजित विश्वकर्मा महाकुम्भ मे भाग लेकर नवीन जोश एवं उर्जा के साथ वापस लोट आये पाली जिले के जांगिड समाज बंधु।महाकुंभ में विश्वकर्मा जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करवाने, ओबीसी का वर्गीकरण कर सामाजिक जनसंख्या के आधार पर आरक्षण का लाभ देने, शैक्षणिक व सामाजिक उन्नति के लिए जयपुर में 50 बीघा एवं प्रत्येक जिले में 5-5 बीघा भूमि का निःशुल्क आवंटन की मांग आदि का प्रस्ताव पारित किया गया।
इससे पूर्व समाज की मतृशक्ति द्वारा एक ही गणवेश मे शोभायात्रा निकाली गई जो जयपुर वासियों के लिए आश्चर्यजनक थी। चौथ का व्रत होने के बावजूद 15 हजार से अधिक महिलाएं शोभायात्रा मे शामिल हुई। कार्यक्रम मे महासभा प्रधान रामपाल शर्मा, राजस्थान जन अभियोग निराकरण समिति अध्यक्ष पुखराज पाराशर, राज्यसभा संसद रामचन्द्र जांगडा विधायक जगदीश जागिड़ , अन्तराष्ट्रीय अध्यक्ष अमराराम दुबई से अपने साथीयों के साथ विशेष चार्टर विमान से पधारे। भामाशाह भवरलाल कुलरीयां शकर कुलरियां जिलाध्यक्ष बाबुलाल शर्मा सहित 16 प्रदेशों के प्रदेश अध्यक्ष एवं राजस्थान के 31 जिलाध्यक्ष अपनी अपनी कार्यकारिणी के साथ शामिल हुए।
महाकुंभ के ऐतिहासिक विशाल आयोजन में जांगिड समाज के गौरव मरूभूमि राजस्थान के महान गौभक्त एवं समाजसेवी ब्रह्मलीन संतश्री दुलाराम कुलरिया के पुत्र उधोगपति एवं समाजसेवी भँवर, नरसी, पूनम कुलरियां द्वारा 11 लाख रुपए समाज सेवा हेतु तथा संतश्री पदमाराम कुलरिया के पुत्र उधोगपति कानाराम, शंकर, धरम , कुलरिया परिवार द्वारा 10 लाख रुपए समाजसेवा के सहयोग हेतु महासभा को भेंट किये गये।
महासभा के पाली जिला प्रचार-प्रसार मंत्री घेवरचन्द आर्य ने बताया की विश्वकर्मा महाकुंभ महासभा के इतिहास मे पहली बार का आयोजन था जो भव्य एवं सफल रहा । प्रदेशाध्यक्ष संजय हर्षवाल के निवेदन पर राजस्थान की सभी जिला एवं तहसील सभाओ के समाज बंधुओ ने अपने-अपने निजी वाहनो और बसो मे सवार होकर जयपुर पहुचकर इस महायज्ञ मे अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर अपने कर्तव्य का निर्वहन किया।
सम्मेलन की भव्यता का अंदाज इसी से लगाया जाता है कि समारोह स्थल पुरा स्टेडियम खचाखच भरा हुआ था। स्टेडियम मे जिधर भी नजर दोडाते केवल पगडीयां और सिर ही नजर आते इसमे मातृशक्ति की जबरदस्त उपस्थिति देखकर ऐसा लगा जैसे समाज की नारी आज जागृत होकर अपने हक अधिकारो के शक्ति का स्वरूप धारण कर चुकी है।
महाकुंभ मे पुरे देश की अलग अलग वेशभूषा और संस्कृति की झलक देखने को मिली जिसमे पाली जिले के मारवाड़ी सफेद ध्वल वस्त्रो और विरोचित केसरियां पगडी धारण किये थे। वही नागोर एवं बाडमेर वाले अलग-अलग धोती और पगडी से भी पहचान बनाये हुए थे। इसी प्रकार हरियाणा एवं दिल्ली वाले भी अपनी अलग वेशभूषा से पहचान बनाये हुए थे। लेकिन महाकुंभ मे सब एक थे भाई भाई थे। यह सम्मेलन ही हमारी विभिन्न संस्कृतियों को विश्वकर्मा जी के नाम से एक करने मे सफल रहा।
समारोह मे अन्य जिला सभाओ की तरह पाली जिले से भी पाली जिला अध्यक्ष ओम प्रकाश जांगिड के नेतृत्व मे निर्धारित लक्ष्य 12 की जगह 18 बसों और निजि वाहनो से करीब 2000 समाज बधुओ ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। जिसमे से आधी संख्या महिलाओं की थी जो समारोह आरम्भ से तीन बजे तक पाडाल मे अनुशासित एक जगह बेठकर वक्ताओं को सुनते रहे। और कभी तालीयां बजाकर तो कभी हाथ खडे कर उत्साह वर्धन करते रहे। कार्यक्रम समाप्ति के बाद सभी एक साथ दिल्ली से तीर्थराज पुष्कर के लिए रवाना हुए। यहां पवित्र सरोवर मे स्नान कर रात्रि शयन आरती पर जगत पिता ब्रह्मा जी के दर्शन कर भोजन विश्राम के बाद सभी समाज बधु बसो मे सवाल होकर अपने अपने गतव्य की और लोट आये।
विश्वकर्मा वैदिक वेबसाइट अब 140 भाषाओं में उपलब्ध है
सभी देशवासियों को
भगवान् श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
पर अनन्त शुभकामनाएं .