नवरात्रि के चौथे दिन, मां कुष्मांडा की पूजाविधि, पूजा का मंत्र
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणिय नमोऽस्तुते।।
. नवार्ण मंत्र -'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' का जाप अधिक से अधिक अवश्य करें.
पूजा मंत्र - ॐ कूष्माण्डायै नम: ध्यान मंत्र - वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
मां दुर्गा का सबसे शक्तिशाली मंत्र कौन सा है?
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
मां दुर्गा का मूल मंत्र क्या है?
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥ या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सर्वश्रेष्ठ मंत्र कौन सा है?
शिक्षा, एकाग्रता और ज्ञान के लिए गायत्री मंत्र सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार आकाशवाणी से ही सृष्टि के रचयिता को गायत्री मंत्र प्राप्त हुआ था. गायत्री मंत्र को सभी मंत्रों में सबसे शक्तिशाली माना जाता है. इस मंत्र का जाप करने के कुछ नियम होते हैं, तभी इसका प्रभाव देखने को मिलता है.
मां कुष्मांडा की पूजा विधि
मां कुष्मांडा को संतरें रंग बेहद पसंद है. ऐस में इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा पीले रंग के कपड़े पहनकर करना चाहिए. इनकी पूजा में लौंग, इलायची, सौंफ, कुम्हरा इत्यादि अर्पित करें. इसके साथ ही माता को कुमकुम, मौली, अक्षत भी चढ़ाएं.
कुष्मांडा का अर्थ क्या होता है?
कुष्मांडा का अर्थ है कुम्हड़ा यानी पेठा की बलि देना
और यह चौथा रूप है मां कुष्मांडा का. कुष्मांडा का अर्थ है कुम्हड़ा यानी पेठा की बलि देना. मां कुष्मांडा की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि देवी पार्वती ने ऊर्जा और प्रकाश को संतुलित करने के लिए सूर्य के केंद्र में निवास किया था
नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है और उनके भोग में पेठा अर्पित किया जाता है। मां को पीले फल, फूल, वस्त्र, मिठाई और मालपुआ सबसे प्रिय हैं। आइए आपको बताते हैं मां कुष्मांडा की पूजाविधि, भोग, मंत्र और आरती। साथ ही यह भी जानेंग कि कैसे मां दुर्गा के चौथे रूप का नाम कुष्मांडा पड़ा।
मान्यता है कि नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा करने वाले साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और भक्तों को सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मां कुष्मांडा को लेकर ऐसी मान्यता है पढ़ने वाले छात्र यदि कुष्मांडा देवी की पूजा करें तो उनके बुद्धि विवेक में वृद्धि होती है। दुर्गा माता के चौथे रूप में मां कुष्मांडा भक्तों को रोग, शोक, विनाश से मुक्त करके आयु, यश, बल और बुद्धि प्रदान करती हैं।
मां कुष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥