पुरातन ग्रंथों के अनुसार, प्राचीन ऋषि-मुनि एवं दार्शनिक हमारे आदि वैज्ञानिक थे, जिन्होंने अनेक आविष्कार किए और विज्ञान को भी ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
अश्विनीकुमार
मान्यता है कि ये देवताओं के चिकित्सक थे। कहा जाता है कि इन्होंने उड़ने वाले रथ एवं नौकाओं का आविष्कार किया था।
धन्वंतरि
इन्हें आयुर्वेद का प्रथम आचार्य व प्रवर्तक माना जाता है। इनके ग्रंथ का नाम धन्वंतरि संहिता है। शल्य चिकित्सा शास्त्र के आदि प्रवर्तक सुश्रुत और नागार्जुन इन्हीं की परंपरा में हुए थे।
ऋषि भारद्वाज
आधुनिक विज्ञान के मुताबिक राइट बंधुओं ने वायुयान का आविष्कार किया। वहीं हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक कई सदियों पहले ही ऋषि भारद्वाज ने विमानशास्त्र के जरिए वायुयान को गायब करने के असाधारण विचार से लेकर, एक ग्रह से दूसरे ग्रह व एक दुनिया से दूसरी दुनिया में ले जाने के रहस्य उजागर किए। इस तरह ऋषि भारद्वाज को वायुयान का आविष्कारक भी माना जाता है।
ऋषि विश्वामित्र
ऋषि बनने से पहले विश्वामित्र क्षत्रिय थे। ऋषि वशिष्ठ से कामधेनु गाय को पाने के लिए हुए युद्ध में मिली हार के बाद तपस्वी हो गए। विश्वामित्र ने भगवान शिव से अस्त्र विद्या पाई। इसी कड़ी में माना जाता है कि आज के युग में प्रचलित प्रक्षेपास्त्र या मिसाइल प्रणाली हजारों साल पहले विश्वामित्र ने ही खोजी थी।
गर्गमुनि
गर्ग मुनि नक्षत्रों के खोजकर्ता माने जाते हैं। यानी सितारों की दुनिया के जानकार। ये गर्गमुनि ही थे, जिन्होंने श्री कृष्ण एवं अर्जुन के बारे में नक्षत्र विज्ञान के आधार पर जो कुछ भी बताया, वह पूरी तरह सही साबित हुआ। कौरव-पांडवों के बीच महाभारत युद्ध विनाशक रहा।
इसके पीछे वजह यह थी कि युद्ध के पहले पक्ष में तिथि क्षय होने के तेरहवें दिन अमावस थी। इसके दूसरे पक्ष में भी तिथि क्षय थी। पूर्णिमा चौदहवें दिन आ गई और उसी दिन चंद्रग्रहण था। तिथि-नक्षत्रों की यही स्थिति व नतीजे गर्ग मुनि जी ने पहले बता दिए थे।
पतंजलि
आधुनिक दौर में जानलेवा बीमारियों में एक कैंसर या कर्करोग का आज उपचार संभव है। किंतु कई सदियों पहले ही ऋषि पतंजलि ने कैंसर को भी रोकने वाला योगशास्त्र रचकर बताया कि योग से कैंसर का भी उपचार संभव है।
महर्षि कपिल
सांख्य दर्शन के प्रवर्तक व सूत्रों के रचयिता थे महर्षि कपिल, जिन्होंने चेतना की शक्ति एवं त्रिगुणात्मक प्रकृति के विषय में महत्वपूर्ण सूत्र दिए थे।
कणाद ऋषि
सुश्रुत
ये शल्य चिकित्सा पद्धति के प्रख्यात आयुर्वेदाचार्य थे। इन्होंने सुश्रुत संहिता नामक ग्रंथ में शल्य क्रिया का वर्णन किया है।
सुश्रुत ने ही त्वचारोपण (प्लास्टिक सर्जरी) और मोतियाबिंद की शल्य क्रिया का विकास किया था। पार्क डेविस ने सुश्रुत को विश्व का प्रथम शल्य चिकित्सक कहा है।
जीवक
सम्राट बिंबसार के एकमात्र वैद्य। उज्जयिनी सम्राट चंडप्रद्योत की शल्य चिकित्सा इन्होंने ही की थी। कुछ लोग मानते हैं कि गौतम बुद्ध की चिकित्सा भी इन्होंने की थी।
बौधायन
बौधायन भारत के प्राचीन गणितज्ञ और शुलयशास्त्र के रचयिता थे। आज दुनिया भर में यूनानी उकेलेडियन ज्योमेट्री पढाई जाती है मगर इस ज्योमेट्री से पहले भारत के कई गणितज्ञ ज्योमेट्री के नियमों की खोज कर चुके थे। उन गणितज्ञ में बौधायन का नाम सबसे ऊपर है, उस समय ज्योमेट्री या एलजेब्रा को भारत में शुल्वशास्त्र कहा जाता था।
भास्कराचार्य
आधुनिक युग में धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति (पदार्थों को अपनी ओर खींचने की शक्ति) की खोज का श्रेय न्यूटन को दिया जाता है। किंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण का रहस्य न्यूटन से भी कई सदियों पहले भास्कराचार्यजी ने उजागर किया।
भास्कराचार्यजी ने अपने ‘सिद्धांतशिरोमणि’ ग्रंथ में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के बारे में लिखा है कि ‘पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को विशिष्ट शक्ति से अपनी ओर खींचती है। इस वजह से आसमानी पदार्थ पृथ्वी पर गिरता है’।
चरक
चरक औषधि के प्राचीन भारतीय विज्ञान के पिता के रूप में माने जातें हैं। वे कनिष्क के दरबार में राज वैद्य (शाही चिकित्सक) थे, उनकी चरक संहिता चिकित्सा पर एक उल्लेखनीय पुस्तक है।
इसमें रोगों की एक बड़ी संख्या का विवरण दिया गया है और उनके कारणों की पहचान करने के तरीकों और उनके उपचार की पद्धति भी प्रदान करती है।
वे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण पाचन, चयापचय और प्रतिरक्षा के बारे में बताते थे और इसलिए चिकित्सा विज्ञान चरक संहिता में, बीमारी का इलाज करने के बजाय रोग के कारण को हटाने के लिए अधिक ध्यान रखा गया है। चरक आनुवांशिकी (अपंगता) के मूल सिद्धांतों को भी जानते थे।
ब्रह्मगुप्त
7 वीं शताब्दी में, ब्रह्मगुप्त ने गणित को दूसरों से परे ऊंचाइयों तक ले गये। गुणन के अपने तरीकों में, उन्होंने लगभग उसी तरह स्थान मूल्य का उपयोग किया था, जैसा कि आज भी प्रयोग किया जाता है।
उन्होंने गणित में शून्य पर नकारात्मक संख्याएं और संचालन शुरू किया। उन्होंने ब्रह्म मुक्त सिध्दांतिका को लिखा, जिसके माध्यम से अरब देश के लोगों ने हमारे गणितीय प्रणाली को जाना।
अग्निवेश
ये शरीर विज्ञान के रचयिता थे।
शालिहोत्र
इन्होंने पशु चिकित्सा पर आयुर्वेद ग्रंथ की रचना की।
व्याडि
ये रसायन शास्त्री थे। इन्होंने भैषज (औषधि) रसायन का प्रणयन किया। अलबरूनी के अनुसार, व्याडि ने एक ऐसा लेप बनाया था, जिसे शरीर पर मलकर वायु में उड़ा जा सकता था।
आर्यभट्ट
इनका जन्म 476 ई. में कुसुमपुर ( पाटलिपुत्र ) पटना में हुआ था। ये महान खगोलशास्त्र और व गणितज्ञ थे। इन्होने ही सबसे पहले सूर्य और चन्द्र ग्रहण की वियाख्या की थी और सबसे पहले इन्होने ही बताया था की धरती अपनी ही धुरी पर धूमती है और इसे सिद्ध भी किया था। और यही नही इन्होने हे सबसे पहले पाई के मान को निरुपित किया।
वराहमिहिर
इनका जन्म 499 ई . में कपित्थ (उज्जैन ) में हुआ था। ये महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्र थे। इन्होने पंचसिद्धान्तका नाम की किताब लिखी थी जिसमे इन्होने बताया था कि, अयनांश , का मान 50.32 सेकेण्ड के बराबर होता होता है | और इन्होने शून्य और ऋणात्मक संख्याओ के बीजगणितीय गुणों को परिभाषित किया।
महर्षि वाल्मीकि
महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki) को हिन्दू धर्म में श्रेष्ठ गुरुओं में से एक और पहले कवि के रूप में जाना जाता है. महर्षि वाल्मीकि ने हिंदू धर्म की धार्मिक महाकाव्य रामायण (Mahakavya Ramayan) की रचना की थी. महर्षि वाल्मीकि(Maharshi Valmiki) द्वारा लिखे गए रामायण को आज भी आदर्श जीवन और धार्मिक प्रेरणा के लिए पढ़ा और उसका पालन किया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार वाल्मीकि जयंती अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है.धार्मिक कथा के अनुसार अपने वनवास के दौरान भगवान राम की मुलाकात महर्षि वाल्मीकि से हुई थी. आगे चलकर मां सीता को भी महर्षि वाल्मीकि ने ही शरण दी थी. उनके आश्रम में ही लव-कुश का जन्म हुआ था. देवर्षि नारद ने उन्हें राम नाम का जाप करने की सलाह दी थी. जिसके बाद वाल्मीकि राम नाम में लीन होकर एक तपस्वी बन गए.
हलायुध
इनका जन्म 1000 ई . में काशी में हुआ था। ये ज्योतिषविद , और गणितज्ञ व महान वैज्ञानिक भी थे। इन्होने अभिधानरत्नमाला या मृतसंजीवनी नमक ग्रन्थ की रचना की | इसमें इन्होने या की पास्कल त्रिभुज ( मेरु प्रस्तार ) का स्पष्ट वर्णन किया है।
पुरातन ग्रंथों के अनुसार, प्राचीन ऋषि-मुनि एवं दार्शनिक हमारे आदि वैज्ञानिक थे, जिन्होंने अनेक आविष्कार किए और विज्ञान को भी ऊंचाइयों पर पहुंचाया। courtesy
यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है