शारदीय नवरात्र:
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजन
मां चंद्रघंटा का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
माँ दुर्गाजी की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है और इस दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन-आराधन किया जाता है।
मां चंद्रघंटा की पूजा क्यों की जाती है?
मां चंद्रघंटा को मान्यतानुसार शांति और कल्याण की देवी माना जाता है और कहा जाता है कि माता रानी (Mata Rani) का पूजन करने पर जातक को आध्यात्मिक शक्ति की अनुभूति होती है. ऐसे में भक्त पूरे मनोभाव से मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना करते हैं
चंद्रघंटा मां को कौन सा कलर पसंद है?
दुर्गा मां के तीसरे स्वरूप को नारंगी रंग पसंद होता है. नारंगी रंग के कपड़े पहनकर पूजा करने से मां चंद्रघण्टा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को मनचाहा फल देती हैं
मां चंद्रघंटा को क्या चढ़ाएं?
नवरात्रि के तीसरे दिन विधि- विधान से मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की अराधना करनी चाहिए। मां की अराधना उं देवी चंद्रघंटायै नम: का जप करके की जाती है। माता चंद्रघंटा को सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप, पुष्प अर्पित करें। आप मां को दूध से बनी हुई मिठाई का भोग भी लगा सकती हैं।
चंद्रघंटा की पूजा कैसे करें?
सबसे पहले उन्हें अक्षत, सिन्दूर, कुमकुम, फूल, माला, धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि चढ़ाएं। इस दौरान पूजा मंत्र का जाप करें. इसके बाद मां चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं. आप चाहें तो खीर का भोग भी लगा सकते हैं.
माता चंद्रघंटा की कथा
प्रचलित कथा के मुताबिक, माता दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का अवतार तब लिया था जब दैत्यों का आतंक बढ़ने लगा था. उस समय महिषासुर का भयंकर युद्ध देवताओं से चल रहा था. महिषासुर देवराज इंद्र का सिंहासन प्राप्त करना चाहता था. वह स्वर्ग लोक पर राज करने की इच्छा पूरी करने के लिए यह युद्ध कर रहा था. जब देवताओं को उसकी इस इच्छा का पता चला तो वे परेशान हो गए और भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सामने पहुंचे. ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने देवताओं की बात सुन क्रोध प्रकट किया और क्रोध आने पर उन तीनों के मुख से ऊर्जा निकली. उस ऊर्जा से एक देवी अवतरित हुईं. उस देवी को भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने अपना तेज और तलवार और सिंह प्रदान किया. इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर तका वध कर देवताओं की रक्षा की.