विश्वकर्मा ब्राह्मण उच्च वैदिक सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण है
उत्तर-विश्वकर्मा ब्राह्मण, ब्राह्मण में सबसे श्रेष्ठ ब्राह्मण हैं क्योंकि यह वैदिक ब्राह्मण कहलाते हैं और शिल्प विद्या जानते हैं। इसलिए इनको पौरुषेय ब्राह्मण भी कहते हैं।
प्रश्न- विश्वकर्मा ब्राह्मण श्रेष्ठ क्यों?
उत्तर-विश्वकर्मा ब्राह्मण सबसे उच्च वैदिक ब्राह्मण है ब्रह्मांड पुराण, स्कंद पुराण, विश्वकर्मा पुराण तथा वेदों आदि पुराणों में वर्णित ज्ञान के अनुसार विश्वकर्मा ब्राह्मण उच्च ब्राह्मण हैं।
प्रश्न- उत्तर भारत में विश्वकर्मा ब्राह्मण किस नाम से जाने जाते हैं?
उत्तर- उत्तर भारत में विश्वकर्मा ब्राह्मणों को धीमान ब्राह्मण प्रमुख रूप से जानते है।
प्रश्न- विश्वकर्मा के वंशजों को विश्वब्राह्मण क्यों कहा जाता है?
उत्तर-विश्वकर्मा जी समस्त सृष्टि का सृजनकर्ता है। इसी कारण से उनके वंशजों के प्रति भी सम्मान प्रकट करने के लिए विश्वकर्मा वंशजों को विश्वब्राह्मण कहा जाता है।
प्रश्न-जन्म से तो कोई ब्राह्मण नही होता फिर विश्वकर्मा ब्राह्मण कैसे?
उत्तर-विश्वकर्मा के कुल में उत्पन्न हुए शिल्पी लोग जन्म से ही ब्राह्मण हैं।
विश्वकर्म कुलेजाता गर्भ ब्राह्मण निश्चिता।
शद्रत्वं नास्ति तद्वंशे ब्राह्मणा विश्वकर्मणः।।(शिल्पशास्त्र)
अर्थ- विश्वकर्मा के कुल में उत्पन्न हुए शिल्पी लोग जन्म से ही ब्राह्मण हैं, क्योंकि ब्राह्मण विश्वकर्मा के वंश में उत्पन्न हुआ कोई भी शूद्र समान गुण हीन नहीं होता।
प्रश्न- क्या शिल्पी ब्राह्मण ही ब्रह्मा पद के अधिकारी हैं?
उत्तर-शिल्पी ब्राह्मण ही ब्रह्मा पद के अधिकारी हैं
यथैक पात् पुरुषो येन् अनुभय चक्रो वा रथौवर्तमानो।
भ्रषंमन्योति एवमेवास्य यज्ञों भरेषंन्येयति।।( गोपथ ब्राह्मण ३,२)
अर्थ- जैसे एक पैर वाला पुरूष व एक पहिये का रथ नही चल सकता वह नष्ट भ्रष्ट हो जाता है । इसी प्रकार वह यज्ञ भी जिसमे अथर्ववेदी शिल्पी ब्राह्मण ब्रह्मा न हो, असफल हो जाता है, और किसी भी शुभ फल का देने वाला नहीं होता अपितु विनाशकारी हो जाता है।
प्रश्न- क्या धीमान ब्राह्मण हैं?
उत्तर- हां धीमान ब्राह्मण हैं
ऋर्षिविप्र पुर एता जनाना मृभुर्धिर।। (ऋग्वेद ९, ८७, ३)
अर्थ- ऋभु रथकार अर्थात शिल्पी है (धीर) धीमान है ( विप्र) ब्राह्मण है (ऋषि) वेदार्थ का वक्ता है तथा जनता का नेता है।
नमो रोहिताय स्थपतये० (यजु०अ०१६ मन्त्र १९)
उटवाचार्य भाष्य- स्थपतये स्थपति: गृहादीनां चेताचयनं करोति विश्व कर्म रूपपेण०।
महीधर भाष्य-
महीधर भाष्य-स्थपति गृहादि कर्ता विश्वकर्म रूपेण तस्मै नमः।
महीधर भाष्य-स्थपति गृहादि कर्ता विश्वकर्म रूपेण तस्मै नमः।
अर्थ- विश्वकर्मा के स्वरूप से मकानादि शिल्पीय पदार्थों की रचना करने वाले शिल्पियों को नमस्कार हो। इस प्रकार शिल्पी ब्राह्मण को नमस्ते कर उनका सत्कार किया है।
अतः जनता को चाहिये कि राजा सहित अंगिरा वंशीय विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों को संतुष्ट करके उसका सत्कार करें।
प्रश्न- विश्वकर्मा ब्राह्मण और ब्राह्मण में क्या अंतर है?
उत्तर-विश्वकर्मा ब्राह्मण पौरुषेय वैदिक ब्राह्मण होते हैं और ब्राह्मण आश्रेय ब्राह्मण होते हैं।
शूद्र कोटि सहस्रणामेक विप्रः प्रतिष्ठित।
विप्रकोटि सहस्रणामेक शिल्पी प्रतिष्ठित।।
शिल्पी नमस्कृया पूर्व देवरुप धरो यतः।
पश्चादन्य विप्रो राजा वैश्य शूद्रो इतिक्रमात्।।
(स्कन्दपुराण)(शिल्पशास्त्र)
अर्थ-सहस्रों शूद्रो में एक विद्वान ब्राह्मण पूजा के योग्य है और ऐसे सहस्रों ब्राह्मणों में एक शिल्पी ब्राह्मण ही पूजा के योग्य है और जहां पर चारों वर्णो के लोग उपस्थित हो वहां पर सबसे पहले शिल्पी वैदिक विश्वकर्मा ब्राह्मणों को प्रणाम करना चाहिए, तत्पश्चात क्रम से दूसरों लोगों क्षत्रियों, वैश्यों और शूद्रों का यथोचित सत्कार करना चाहिए।
वास्तव में शिल्पी वैदिक ब्राह्मण पृथ्वी के देवता हैंऔर समस्त प्राणियों के पूजनीय और वन्दनीय हैं।
प्रश्न- सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण कौन है?
उत्तर-शिल्पी वैदिक विश्वकर्मा ब्राह्मणों को ब्राह्मणों को सर्वोच्च माना जाता है।
प्रश्न- विश्वकर्मा कौन से ब्राह्मण होते हैं?
उत्तर- विश्वकर्मा ब्राह्मण वैदिक ब्राह्मण कहलाते हैं और शिल्प विद्या जानते हैं। इसलिए इनको पौरुषेय ब्राह्मण भी कहते हैं।
प्रश्न- शर्मा और विश्वकर्मा में क्या अंतर है?
उत्तर- विश्वकर्मा कोई जाति नहीं हैं अपितु , देवाचार्य देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा हमारे आराध्य एवं इष्टदेवता हैं। यजुर्वेद अध्याय 4 श्लोक 9 के अनुसार शिल्पी अर्थात विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों के अंतर्गत आने वाले सभी वर्गों को 'शर्मा' अर्थात सुखदाता कहा गया है इसलिये इन्हें शर्मा भी कहते हैं।
प्रश्न- सृष्टि का प्रथम ब्राह्मण कौन था?
उत्तर- सृष्टि का पहला ब्राह्मण राजा विश्वकर्मा भौवन हुआ
प्रश्न- विश्वकर्मा ब्राह्मण कौन है?
उत्तर- हां वेदानुकूल वैदिक विश्वकर्मा ब्राह्मण ही सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण है जिन्हे धीमान ब्राह्मण, पांचाल ब्राह्मण, जांगिड़ ब्राह्मण, झा ब्राह्मण ,ओझा ब्राह्मण, शर्मा आदि के नाम से जाना जाता है।
विश्वकर्मा वैदिक पत्रिका का मार्च 2024 अंक-१, वर्ष-८ देखे।